क्या यही जीवन है ?
पांच महाभूतों से बना शरीर
आकाश-तत्व
आकाश-तत्व एक मूल तत्व माना गया है। अत वास्तु विषय में इसे ब्रह्म-स्थल (मध्य स्थान) कहा जाता है।
गुण – शब्द ।
वायु-तत्व
प्राण वायु (आक्सीजन) के बिना सृष्टि का चलना असंभव है, क्योंकि प्राण वायु के बिना जीव, निर्जीव हो जायेगा।
गुण – स्पर्श और शब्द ।
अग्नि-तत्व
सूर्य को सृष्टि का संचालक कहा जाता है, क्योंकि सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा शक्ति का हमारे जीवन में अत्याधिक महत्व है।
गुण – दृश्य,स्पर्श और शब्द ।
जल-तत्व
गुण - स्वाद,दृश्य,स्पर्श और शब्द ।
पृथ्वी-तत्व
समस्त संसार आकर्षण और विकर्षण से प्रभावित होता है। पृथ्वी के उत्तर-दक्षिण दिशा में चुंबकीय ध्रुव विद्यमान रहते हैं।
गुण – गंध,स्वाद,दृश्य,स्पर्श और शब्द ।
क्षिति (पृथ्वी), जल, पावक (अग्नि), समीर (वायु), गगन(आकाश)
भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। पृथ्वी (ठोस), आप (जल, द्रव), आकाश (शून्य), अग्नि (प्लाज़्मा) और वायु (गैस) - ये पञ्चमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। लेकिन इनसे बने पदार्थ जड़ (यानि निर्जीव) होते हैं, सजीव बनने के लिए इनको आत्मा चाहिए। आत्मा को वैदिक साहित्य में पुरुष कहा जाता है।
सांख्य दर्शन के २५ तत्व
आत्मा (पुरुष)
अंत:करण (4) : मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार
ज्ञानेन्द्रियाँ (5) : नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, कर्ण
कर्मेन्द्रियाँ (5) : पाद, हस्त, उपस्थ, पायु, वाक्
तन्मात्रायें (5) : गन्ध, रस, रूप, स्पर्श, शब्द
महाभूत (5) : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
य़े सव वने है । मॉस,कंकाल,खून,तवचा आदि से ।
शुक्राणु शुक्राणु+अंडाणु
भ्रूण भ्रूण विकास साप्ताहिक
और फिर जनम
तरह - तरह के रोग
दंगे, हत्या
बलतकार , अत्याचार
शोषण
गरीवी ,भुखमरी
आपदा
वृद्धावस्था
और फिर मृत्यु
यदि यही ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप है तो आपको विचार करने की जरूरत है ! यथार्थ जीवन क्या है ? जानने के लिए हमें कमेंट करें।
धन्यवाद !
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