ज्ञान क्या है ?( सत्य क्या है?)
सामान्यत संसार के विभिन्न क्षेत्रो के अध्ययन (जानकारी) को ज्ञान कहते है किन्तु ये सत्य नही है І तो आये देखते है की सत्य क्या है ?
श्री भगवान उवाच
गीता अध्याय-13 श्लोक-11
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम् ।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ।।11।।
अर्थ - अध्यात्मज्ञान में नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के अर्थ रूप परमात्मा को ही देखना- यह सब ज्ञान है, और जो इससे विपरीत है, वह अज्ञान है- ऐसा कहा है ।।11।।
भावार्थ - अध्यात्म, अध्यात्म शव्द से तात्पर्य है अपनी आत्मा का अध्ययन अर्थात आत्मा का दर्शन ,आत्मा की जानकारी (आत्म ज्ञान ) इसे हम स्वदर्सन भी कह सकते है अर्थात स्वंम का ज्ञान की मै कौन हूँ І अतः जव हम सद्गुरू की सरन में जाते है तो इनकी कृपा से हमे ज्ञान होता है І की हम एक पांच तत्व का पुतला नही हूँ वरन मै तो स्वंम आत्मा हूँ І अव देखे तत्व,तत्व शव्द से तात्पर्य है कि आत्मा और परमात्मा का यथार्थ स्वरूप वस्तुतः आत्मा और परमात्मा में कोई अंतर नही है अव हमारे सामने एक चीज और आती है जो है प्रक्रति अतः प्रकृति और परमात्मा का यथार्थ ज्ञान ही तत्व ज्ञान है І
ब्रह्म सत्य जगत मित्थ्या - इस शूक्ति से भी स्पस्ट होता है की परमात्मा (ईश्वर) सत्य है और प्रकृति (विश्व) झूठा है अतः परमात्मा में स्थित होना ज्ञान एवं संसार में स्थित रहना अज्ञान है І
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